एक डरपोक भारतीय किशोर फूहड़, उसकी इच्छाओं के आगे झुकते हुए, अपने स्वामी के अथक धक्कों के लिए आत्मसमर्पण करती हुई, परमानंद की अपनी चीखों को चुप कराती हुई। इस तीव्र मुठभेड़ से उसकी और अधिक तड़प उठती है।.
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