एक सीधा आदमी आत्म-आनंद में लिप्त होता है, उसका हाथ अपने धड़कते सदस्य के ऊपर लयबद्ध ढंग से चलता है। जब वह चरमोत्कर्ष की ओर दौड़ता है, तो उसकी कराहें कमरे को भर देती हैं, उसका शरीर परमानंद में छटपटाता है। शुद्ध, शुद्ध आनंद का एकल कार्य।.
एक सीधा आदमी आत्म-आनंद में लिप्त होता है और अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचता है, अपने शरीर को छेड़ता है और पुरुष हस्तमैथुन की सुंदरता की सराहना करता है।.
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